क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
हर दिन विशेष है।
बात न जीत की है न हार की है।
बात न भूलने की है न याद रखने की है।
उम्र आगे बढ़ती है तो यादें पीछे खींचती हैं।
आगे पीछे के चक्कर में अक्सर कोई साथ छोड़ जाता है।
मुक्त हो जाता है जाने वाला और अकेला रह जाता है उम्र के आखरी पड़ाव पर जब वर्तमान पीढ़ी विकास की ऊंचाईयों को छूने में जी जान से जुटी है और वक्त ही नहीं कि दो पल बैठ कर कुछ बात करले। कुसूर उनका नहीं यह आज की जरूरत का तकाजा है।
ठीक ऐसे ही इनके समय में इनके पास भी सुकून का समय नहीं था।यही खयाल था कि जब जिम्मेदारी निभ जाएंगी तब बैठ कर बातें सारे जहाँ की करेंगे।लेकिन कोई एक तो पहले जाएगा और जो रह जाएगा वह बस एक ओर मूक बैठा आते जाते परिवार के सदस्यों को देखेगा। प्रातः व सायं में जब तक जा सकेगा करीबी पार्क में जायेगा दो तीन घंटे बिताएंगे लेकिन लौट कर तो घर ही आना है।वो बात अब कहाँ जब कुनबा होता था हर उम्र का सदस्य होता था।शाम को और भी बैठ कर बातें सारे जहाँ की करते थे ।लेकिन अपने शहरी करण,व फ्लैट के जीवन में एकाकी पन कचोटते है ।और चुप है जुबान लेकिन दिमाग में बीते दिनों की घटायें चलचित्र की तरह घूमती रहती हैं। जिनको साझा करने वाला कोई नहीं होता। पैंशन पाते हैं तब तो फिर भी कूछ ठीक है और अगर अक्षम तन,धन दोनों से हैं तब स्थिति और भी दयनीय होती है।
आज वरिष्ठ नागरिक दिवस है हम सभी के उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हैं और यह कहना चाहते हैं कि हम कितने भी आर्थिक रूप से सक्षम हों परंतु शारीरिक अक्षमताएं एक दिन अवश्य ही आती हैं जिस पर किसी का वश नहीं तो जब तक हम अच्छा कर सकते हैं करें और बाद में स्वयं को समय की धारा के हवाले करते हुए सोच लीजिए कि जो भी होगा अच्छा होगा।