क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
रोटियां
एक विद्वान और उनके दोस्तों के बीच वार्तालाप हो रहा था। विद्वान ने कहा- रोटियां चार प्रकार की होती हैं।
दोस्तों ने पूछा- कैसे?
विद्वान ने कहा- पहली सबसे स्वादिष्ट रोटी मां की ममता और वात्सल्य से भरी हुई होती है। जिससे पेट तो भर जाता है, पर मन कभी नहीं भरता।
एक दोस्त ने कहा- सोलह आने सच। पर शादी के बाद मां की रोटी कम ही मिलती है
विद्वान ने आगे कहा- हां, वही तो बात है
दूसरी रोटी पत्नी की होती है, जिसमें अपनापन और समर्पण का भाव होता है। जिससे पेट और मन दोनों भर जाते हैं।
दूसरे दोस्त ने कहा- क्या बात कही है आपने। ऐसा तो हमने कभी सोचा ही नहीं। तीसरी रोटी किसकी होती है
विद्वान ने कहा- तीसरी रोटी बहू की होती है। जिसमें सिर्फ कर्तव्य का भाव होता है, जो कुछ-कुछ स्वाद भी देती है और पेट भी भर देती है और वृद्धाश्रम की परेशानियों से भी बचाती है।
थोड़ी देर के लिए वहां पर चुप्पी छा गई। फिर मौन तोड़ते हुए तीसरे दोस्त ने पूछा- लेकिन ये चौथी रोटी कौन सी होती है?
विद्वान ने कहा- चौथी रोटी नौकरानी की होती है। जिससे ना तो इंसान का पेट भरता है, न ही मन तृप्त होता है और स्वाद की तो कोई गारंटी ही नहीं है।
चौथे दोस्त ने पूछा- तो फिर हमें क्या करना चाहिए?
विद्वान ने कहा- मां की हमेशा पूजा करो। पत्नी को सबसे अच्छा दोस्त बना कर जीवन जिओ। बहू को अपनी बेटी समझो और छोटी-मोटी गलतियां नजरअंदाज कर दो, क्योंकि बहू खुश रहेगी तो बेटा भी आपका ध्यान रखेगा। यदि हालात चौथी रोटी तक ले ही जाएं, तो परमात्मा का शुकर करो कि उसने हमें जिंदा रखा हुआ है, और अब स्वाद पर ध्यान मत दो और केवल जीने के लिए बहुत कम खाओ ताकि बुढ़ापा आराम से कट जाए और सोचो कि वाकई हम कितने खुशकिस्मत हैं।