क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
इस मामले में ग्रामीण अब आंदोलन करने का मन बना रहे हैं। इसमें नगरपालिका के अधिकारियों का तर्क है कि भले ही रिकार्ड में कई कालोनियों व तीन गांव सीमा विस्तार होने के बाद बढ़ गए हों लेकिन आबादी महज 12 हजार के आसपास ही बढ़ी है। ऐसे में आबादी के हिसाब से ही वार्डों की संख्या में भी इजाफा किया गया है। वहीं, सरना गांव के जिला पंचायत सदस्य अमित त्यागी का कहना है कि गांवों की आबादी कम दिखाई गई है। रिकार्ड की स्थिति पर ध्यान न देकर वास्तविक स्थिति को देखा जाना चाहिए। गांवों के आसपास 20 से ज्यादा बड़ी कालोनियां हैं।इस आबादी के हिसाब से मुरादनगर में कम से कम 10 वार्ड बढ़ने चाहिए थे। वार्ड में इजाफा न होने से न सिर्फ गांवों का राजनीतिक वजूद खत्म होगा। बल्कि यहां विकास की संभावनाएं भी बहुत कम रहेंगी। ध्यान रहे कि सीमा विस्तार होने के बाद इसका श्रेय लेने की राजनीतिक लोगों में होड़ लगी हुई थी लेकिन वार्ड न बढ़ने पर कोई भी इसमें अपना पक्ष रखने को तैयार नहीं है। अब लोग श्रेय लेने वालों से वार्ड न बढ़ने को लेकर सवाल कर रहे हैं। असालत नगर में रहने वाले मुरादनगर के पूर्व ब्लाक प्रमुख रमेश चंद त्यागी कहते हैं कि नगर पालिका में गांवों को शामिल करने का कोई फायदा नहीं हुआ है। ग्राम पंचायत स्तर पर गांवों का बेहतर विकास हो रहा था। नगरपालिका में गांवों के आने से लोगों को नुकसान होगा।
इनका कहना है :
मामला मेरी जानकारी में आया है। सरना गांव के कुछ लोगों ने इसको लेकर शिकायत भी दर्ज कराई है। ग्रामीणों की आपत्ति को शासन स्तर पर भेजा गया है।इसके लिए नियमानुसार हर संभव प्रयास किया जाएगा।
-शुभांगी शुक्ला, एसडीएम, मोदीनगर।