क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 983711714
लोहिया नगर स्थित हिंदी भवन में हिंदी दिवस समारोह एवं कवि सम्मेलन का ऐसा आयोजन हुआ जो लंबे समय तक हिंदी एवं काव्य के प्रेमियों को याद रहेगा। इस समारोह की विशेषता ये रही कि इसमें हिंदी के सौ से ज्यादा मेधावी विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को सम्मानित किया गया मेरे संचालन में डा. बुद्धिनाथ मिश्र, अनिल शर्मा जोशी, डॉ प्रवीण शुक्ल, अलका सिन्हा, बलवीर सिंह करुण, इंदु जैन, डॉ माला कपूर गौहर और चेतन आनंद ने काव्य पाठ किया। जाहिर है मैंने भी काव्य पाठ किया ही होगा। शानदार आयोजन के लिए हिंदी भवन समिति के अध्यक्ष ललित जायसवाल जी आऔर महासचिव सुभाष गर्ग समेत पूरी टीम को बहुत-बहुत धन्यवाद।
इस कार्यक्रम की रिपोर्ट एक खबर के तौर पर पोस्ट कर रहा हूं। मीडिया के साथी चाहें तो इस खबर को ले सकते हैं। धन्यवाद।
भारत का नाम सिर्फ भारत हो, अंग्रेजी का इंडिया नहीं: बुद्धिनाथ मिश्र
हिंदी दिवस समारोह व कवि सम्मेलन में हिंदी के विद्यार्थी और अध्यापक सम्मानित
हिंदी भवन समिति ने किया शानदार आयोजन
गाजियाबाद, आशीष वाल्डन। वरिष्ठ गीतकार डा बुद्धिनाथ मिश्र का कहना है कि भारत का सिर्फ एक नाम हिंदी में होना चाहिए- भारत। अंग्रेजी के नाम इंडिया को समाप्त किया जाना चाहिए।
हिंदी भवन समिति की तरफ से हिंदी दिवस समारोह एवं कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि हिंदी के प्रचार प्सार के लिए सामूहिक रूप से प्रयत्न किए जाने चाहिए। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि आजादी के 75 साल बाद भी भारत को सिर्फ उसके ही हिंदीनाम भारत से नहीं जाना जाता बल्कि अंग्रेजी का नाम इंडिया भी साथ में चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसे दूर किया जाना चाहिए और भारत का सिर्फ एक नाम भारत ही होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि नए आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्यादा लोग हिंदी बोलते हैं, ना कि इंग्लिश या चाइनीज। विशेष अतिथि केंद्रीय हिंदी विज्ञान मंडल के उपाध्यक्ष डॉ अनिल शर्मा "जोशी" ने कहा कि मैकाले की शिक्षा पद्धति को एक साजिश के तहत रखा गया ताकि अंग्रेज तो बेशक चले जाएं लेकिन अंग्रेजीयत बनी रहे। उन्होंने कहा कि हिंदी के प्रचार-प्रसार और उत्थान के लिए सिर्फ सरकारी प्रयासों के भरोसे न रहें बल्कि स्वयं भी हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य करें। मुख्य वक्ता अलका सिन्हा ने कहा कि हिंदी के लिए बहुत बात की जाती है, बहुत काम किए जाने के दावे भी किए जाते हैं और काम होता भी है लेकिन क्या कारण हैं कि परिणाम वैसे नहीं आ पा रहे जैसे आने चाहिए? इस पर सभी को विचार करना चाहिए। विशेष अतिथि डॉ प्रवीण शुक्ल ने कहा कि हिंदी के सम्मान और प्यार में जितना काम गाजियाबाद में हो रहा है, उससे पूरे देश को प्रेरणा लेनी चाहिए। सुप्रसिद्ध कवि बलवीर सिंह करुणा कहा कि हमारे पूर्वज हमसे ज्यादा समझदार थे। अलवर नरेश ने 1908 में हिंदी को राजभाषा घोषित कर दिया था।
इस अवसर पर विशाल हिंदी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिस का संचालन कवि राज कौशिक ने किया। डाॅ प्रवीण शुक्ल की ये पंक्तियां बहुत पसंद की गई-
जाने कितने अनुभवों का है यही बस सार अंतिम
तोड़ना मत मन के रिश्तों का कभी भी तार अंतिम
ज़िन्दगी की उलझनों से जूझ के जाना ये मैंने
ना कोई भी जीत अंतिम ना कोई भी हार अंतिम