क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के प्रमुख शिष्य दंडी स्वामी सदानंद सरस्वती (Swami Sadanand Saraswati) व दंडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (Swami Avimukteshwaranand Saraswati) को उनका उत्तराधिकारी तय किया गया है। ज्योतिष पीठ एवं शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन के दूसरे दिन नए उत्तराधिकारियों की घोषणा कर दी गई है। ज्योतिष पीठ के नए शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती होंगे। शारदा पीठ के नए शंकराचार्य सदानंद सरस्वती को बनाया गया है। इन दोनों के नाम की घोषणा शंकराचार्य जी की पार्थिव देह के सामने हुई। शंकराचार्य जी के निजी सचिव सुबोद्धानंद महाराज ने उनके प्रिय शिष्यों को उत्तराधिकारी घोषित किया।
द्वारका पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का रविवार को मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले में निधन हो गया था। वह 99 वर्ष के थे।
दंडी स्वामी सदानंद सरस्वती
मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के बरगी ग्राम में पैदा हुए रमेश अवस्थी 18 वर्ष की आयु में शंकराचार्य आश्रम में खिंचे चले आए। ब्रह्मचारी दीक्षा के साथ ही इनका नाम ब्रह्मचारी सदानंद हो गया।
वाराणसी में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से दंडी दीक्षा लेने के बाद से इन्हें दंडी स्वामी सदानंद के नाम से जाना जाने लगा। यह फिलहाल तो गुजरात में द्वारका शारदापीठ में शंकराचार्य के प्रतिनिधि के रूप में कार्य संभाल रहे हैं।
दंडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के मूल निवासी उमाकांत पाण्डेय तो बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रनेता भी रहे। यह युवावस्था में शंकराचार्य आश्रम में आए। दीक्षा के बाद इनका नाम ब्रह्मचारी आनंद स्वरूप हो गया। इसके बाद वाराणसी में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने दंडी दीक्षा दीक्षा दी।
जिसके बाद इन्हें दंडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद कहा जाने लगा। वह अभी उत्तराखंड स्थित बद्रिकाश्रम में शंकराचार्य के प्रतिनिधि के रूप में ज्योतिष्पीठ का कार्य संभाल रहे हैं। उनको ज्योतिषपीठ बद्रीनाथ का प्रमुख घोषित किए जाने से प्रतापगढ़ के धर्मानुरागी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। इनका जन्म जन्म पट्टी तहसील के ब्राह्मणपुर गांव में 15 अगस्त 1969 को हुआ।