क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
गाजियाबाद, आशीष वाल्डन। मां ने 85 साल की उम्र में जिस इकलौते बेटे को पैरवी करके जमानत कराई, वह जब जेल से बाहर आया तो मां को साथ रखने के बजाय वृद्धाश्रम में छोड़ गया। उसे बेटे को याद करके मां की आंखें नम हो जाती हैं। वृद्धाश्रम में रहकर भी बेटे के लिए उसके मुंह से दुआ निकलती है। बेटा इतना निष्ठुर है कि मिलने भी नहीं आता।
इंदिरा चौधरी वाराणसी की निवासी हैं। गाजियाबाद के दुहाई स्थित वृद्धाश्रम में रह रही हैं। उन्होंने बताया कि बेटा पांच साल का ही था कि पति की मौत हो गई। मेहनत करके बेटे को पाला। उसकी शादी की। उसकी दिल्ली में एक निजी कंपनी में नौकरी लगी। वह बताती हैं कि 2018 में वह वाराणसी में बेटे-बहू के साथ ही रह रही थीं। एक दिन अचानक बेटा बहू और पोते को लेकर लापता हो गया। पता चला कि वह जिस कंपनी में काम करता है, वहां गबन कर लिया। कंपनी के अधिकारी ने केस दर्ज करा दिया। इस केस में वह तिहाड़ जेल में बंद है। बहू पोते को लेकर मायके में रहने के लिए चली गई थी।
वह दिल्ली आ गई। कहीं रहने का ठिकाना नहीं मिला तो दुहाई के वृद्धाश्रम में आ गईं। यहीं से वकील ढूंढा, बेटे से मिलने जेल गईं और पूरा मामला समझा। पैरवी के लिए रिश्तेदारों से लेकर पैसे जमा किए। हर तारीख पर कोर्ट गई। नतीजा यह हुआ कि फरवरी 2020 में बेटे को जमानत मिल गई और वह जेल से बाहर आ गया। इंदिरा कहती हैं कि बेटे की नौकरी जा चुकी थी।
नौकरी मिलते ही छोड़ गया वृद्धाश्रम में
इंदिरा चौधरी ने बताया कि उन्होंने आश्रम की संचालिका इंदु श्रीवास्तव से दरखास्त करके बेटे को दो महीने तक आश्रम में ही रखा, क्योंकि उसे नौकरी नहीं मिल रही थी। इसके बाद उसे इंदौर में नौकरी मिल गई। वह उन्हें साथ ले गया। बहू और बेटे को भी ले आया। एक महीने बाद ही उसने कह दिया, मां... तुम वहीं रहो, वृद्धाश्रम में। इसके बाद वह उन्हें यहां छोड़ गया।
फिर भी बेटे को याद करती है मां
आश्रम संचालिका इंदु श्रीवास्तव ने बताया कि इंदिरा चौधरी इतना कुछ हो जाने पर भी बेटे को याद करती हैं। उनकी उम्र अब 87 साल हो चुकी है। जन्मदिन पर बेटे के लिए प्रार्थना करती हैं लेकिन बेटा कभी मिलने भी नहीं आता। बेटे के जेल में रहने के दौरान जिस कमरे में रहीं, उसी में रह रही हैं। इंदु बताती हैं कि आश्रम में 75 बुजुर्ग रह रहे हैं। हर किसी की कहानी दर्दभरी है।