क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
हिजाब को लेकर मचे बवाल के बीच सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई की तो दोनों जजों ने अलग-अलग फैसले दिए। जस्टिस हेमंत गुप्ता ने HC के फैसले को बरकरार रखा है और बैन के खिलाफ अर्जी खारिज की है। अब बड़ी बेंच में मामले की सुनवाई होगी। कोर्ट के इस फैलसे के बाद यह मामला एक बार फिर चर्चाओं में हैं। हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने इस संबंध में ट्वीट किया है।
अनिल विज ने दिया ये बयान
अनिल विज ने ट्वीट कर लिखा कि पुरुषों को अपने मन को मजबूत करना चाहिए और महिलाओं को हिजाब से मुक्त करना चाहिए। जिन पुरुषों का महिलाओं को देखकर मन मचलता था। उन्होंने ही महिलाओं को हिजाब डालने के लिए मजबूर किया। आवश्यकता तो अपने मन को मजबूत करने की थी लेकिन सजा महिलाओं को दी गई। उनको सिर से लेकर पांव तक ढक दिया। यह सरासर नाइंसाफी है।’
लोगों की प्रतिक्रियाएं
अनिल विज के इस ट्वीट पर तमाम लोग अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। @ZafarSheikh440 यूजर ने लिखा कि दूसरे धर्म की औरतों का घूंघट और दुपट्टा भी सर से हटवा दो, फिर देखो मन डोलता है या नहीं, आशा करते हैं आप अपने घर परिवार से शुरूआत करेंगे। @KChandraShekh यूजर ने लिखा कि वैसे इसमें सिर्फ़ बुरका ही नहीं, देश में मौजूद पर्दा भी है, उसे भी बंद करना चाहिए। चेहरा। व्यक्ति की पहचान होती है उसे किसी पर्दे से छुपाना उचित नहीं।
@Anishukla20 यूजर ने लिखा कि कोई पर्दा में रहता है तो आपको इतनी दिक्कत क्यों है? संविधान ने सबको खाने, पीने, पहनने की आजादी दी है। बीजेपी के अनुसार देश की जनता चलेगी क्या? ये कभी नहीं होगा। @ShriShriVky यूजर ने लिखा कि क्या पता शायद लोग किसी और नियत से हिजाब हटवाना चाह रहे हों, वैसे संस्कारी पार्टी के कारनामे तो इसी तरफ इशारा करते हैं। @WASIMDEAR यूजर ने लिखा कि हिजाब को जबरदस्ती नहीं पहनाना चाहिए। एक लड़की और उसके परिवार का आपस का मामला है पहने या ना पहने। कितनी लड़कियां है जो हिजाब नहीं पहनती और जो पहनना चाहे उनको रोकना नहीं चाहिए।
बता दें कि अनिल विज ने कहा, ‘मैं कोर्ट के फैसले पर कुछ नहीं कहूंगा लेकिन इस मामले पर मेरी व्यक्तिगत सोच है कि आदमी की नीयत खराब न हो जाए इसलिए महिलाओं को सिर से पैर तक ढक दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर लगे प्रतिबंध को हटाने से इनकार करने वाले कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की और फैसला सुनाया। हालांकि दोनों जजों में सहमति ना बन पाने पर मामले को बड़ी बेंच के पास भेजा गया है।