क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
(सम्पादकीय)
चीन का रवैया
भारत के साथ सीमा विवाद पर चीन के रवैए को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर नाराजगी भरे अंदाज में जो कहा, वह चीन के लिए दो टूक संदेश है
आस्ट्रिया की राजधानी वियना में मीडिया से बातचीत में जयशंकर ने साफ कहा कि आज भारत और चीन के बीच जो तनावपूर्ण हालात बने हुए हैं, उसका दोषी चीन ही है। वह पहले विवाद खड़े करता है और फिर उन्हें सुलझाने के लिए जो समझौते करता है, उनका भी पालन नहीं करता। चीन के इस कुटिल रवैए को लेकर विदेश मंत्री यह बात राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों से बार-बार कहते रहे हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि चीन वर्षों से भारत को सीमा विवाद में जिस तरह से उलझाता जा रहा है, उससे क्षेत्रीय शांति को भी खतरा बढ़ रहा है।
इतना ही नहीं, चीन भारत से लगी सीमा पर कई इलाकों में जिस तरह से घुसपैठ करता रहा है, उसका नतीजा यह हुआ है कि उत्तर-पूर्व से लेकर लेह-लद्दाख तक नए-नए विवादित सीमा क्षेत्र बनते जा रहे हैं। जाहिर है, भारत को भी हर ऐसे मोर्चे पर अपनी सुरक्षा मजबूत करनी पड़ रही है जहां पिछले कुछ सालों में चीन की गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं।
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अगर चीन अपना दोहरे चरित्र वाला रवैया छोड़ दे और सीमा विवाद से जुड़े समझौतों का पालन करे तो दोनों देशों के बीच हर समस्या का समाधान आसानी से निकल सकता है। भारत तो हमेशा से यह कहता भी रहा है कि वह सीमा विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने का पक्षधर है। लेकिन चीन का दादागीरी भरा रवैया भारत के शांति प्रयासों पर पानी फेरने वाला ही रहा है।
इसीलिए विदेश मंत्री जयशंकर को बार-बार यह कहने को मजबूर होना पड़ता है कि सीमा पर तनाव भरे हालात चीन के रवैए की वजह से बिगड़ते जा रहे हैं। गलवान की घटना और उसके बाद भारत के कई इलाकों में अतिक्रमण और घुसपैठ की चीनी सैनिकों की कोशिशें इसका उदाहरण हैं। गौरतलब है कि जून 2020 में गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया था और इसमें चौबीस भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। चीनी सैनिकों ने भारत की सीमा में जिन इलाकों में अतिक्रमण कर लिया था, वहां से चीन को पीछे हटाने के लिए अब तक शांति वार्ताओं के दौर चल रहे हैं और अभी भी पूर्वी लद्दाख में हालात तनावपूर्ण ही हैं।
सीमा विवाद शांति और सद्भाव से सुलझ जाए, इसके लिए भारत की ओर से कम प्रयास नहीं हुए। साल 1996 में दोनों देशों के बीच हुए एक समझौते में साफ कहा गया था कि कोई भी पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी के दो किलोमीटर के दायरे में गोली नहीं चलाएगा, न ही इस क्षेत्र में बंदूक, रासायनिक हथियार या विस्फोटक ले जाने की अनुमति होगी।
इसके अलावा, 2013 में किए गए सीमा रक्षा सहयोग करार में भी साफ कहा गया था कि अगर दोनों पक्षों के सैनिक आमने-सामने आ भी जाते हैं तो वे बल प्रयोग, गोलीबारी या सशस्त्र संघर्ष नहीं करेंगे। लेकिन गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों पर हमला करते हुए चीन ने इन समझौतों की धज्जियां उड़ा दीं। और फिर उसके बाद उसने पूरे गलवान क्षेत्र में जिस तरह सैनिकों की तादाद बढ़ाना और स्थायी निर्माण का काम शुरू दिया, विवादित स्थलों पर आज भी उसके सैनिक डटे हैं, यही तनाव बढ़ाने वाली बात है।